धान में पोषक तत्वों की कमी और उसका प्रबंधन

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नाइट्रोजन (Nitrogen)

प्रारंभिक लक्षण पुराने पत्तों में दिखते हैं | क्लोरोफिल विघटन के कारण पत्तियों में पीलापन, धीमी वृधि, कम पत्तियों का निर्माण , पौधों में बौनापन होने लगता है .और नाइट्रोजन की कमी से कम प्रोटीन का निर्माण एवं फसल का शीघ्र पक्कन. कम कल्ले (टिलर) एवं पैदावार में कमी आने लगती है नाइट्रोजन की कमी से होने वाले रोग को खैरा रोग भी कहते है

 

नियंत्रण के उपाय  लिक्विड- N , 5 मिली/ लीटर पानी की दर से स्प्रे करें

 Major Nutrients  N.P.K (19:19:19)

फास्फोरस(Phosphorus) 

फॉस्फोरस कमी से पत्ते संकीर्ण और आकार में छोटे हो जाते है। कमी का लक्षण पत्तों के अग्र भाग से प्रारंभ होता है जहाँपर पत्तियां भूरे लाल या बैंगनी रंग के हो जाते हैं। प्रारंभिक समय में यह लक्षण पौधे के पुराने निचले पत्ते पर दिखाई देता है।

 

नियंत्रण के उपाय  एनपी प्लस 5 ग्राम /लीटर पानी की दर से स्प्रे करें

 मल्टी पीके  5 ग्राम /लीटर पानी की दर से स्प्रे करें

Major Nutrients Phosphorus

पोटेशियम (Potassium)

पोटाश की कमी से पौधे की पत्ती पीली, नुकीली तथा किनारे से झुलस जाती है। पोटाश धान, गन्ना गेहूं आदि फसलों में ज्यादा फुटाव व फैलाव में मदद करता है। दाने मोटे चमकदार वजनी हो जाते हैं। दानों पर विशेष चमक आने से मंडी में उनकी कीमत बढ़ जाती है।

नियंत्रण के उपाय  - ओनली k - ग्राम /लीटर पानी की दर से स्प्रे करें

 ट्विन - ग्राम /लीटर पानी की दर से स्प्रे करें

 ग्रीन पोटाश @ 40 किग्रा/एकड़ इस्तेमाल करें

Major Nutrients Potassium

 

गंधक (Sulphur)

सुलह की कमी  पौधे की ऊपरी नई पत्तियों में दिखते हैं , पत्तियों का रंग हल्का हरा हो जाता है, पत्तियों के किनारे ऊपर की ओर मुड़ जाते हैं | लेकिन पत्तियों की वाहिकाएं हरी बनी रहती है|  डीएपी की जगह सुपरफास्फेट का प्रयोग करें।

 

नियंत्रण के उपाय   -   समृद्धि @ 50 किग्रा/एकड़ इस्तेमाल करें

  फर्टिसल्फ- जी @ 5 किग्रा/एकड़ इस्तेमाल करें

  सल्फर @ 2.5 मि.ली./ली पानी की दर से स्प्रे करें

Micro Nutrients Anshul Sulphur Liquid / Multiplex Sulphur Liquid

जिंक (Zinc)

 जस्ते/ जिंक की कमी के कारण फसल में कल्ले फूटने में कमी, पौधों में असमान वृद्धि, बौने पौधों की पत्तियों में भूरे रंग के धब्बे पडऩा एवं नयी पत्तियों की निचली सतह की मिडरिव में हरिमाहीनता पत्तियों का अपेक्षाकृत सकरा होना, आदि लक्षण दिखाई देते हैं।

पीले रंग के छोटे छोटे धब्बे पत्तियों के मध्य में बनते हैं। बाद में धब्बे बड़े होकर पत्तियों को सुखा देते | धान की पत्तियां जंग लगी सी हो जाती हैं।

नियंत्रण के उपाय   • स्वर्ण Zn - ग्राम /लीटर पानी की दर से स्प्रे करें

 जिंक परम @ 2.5 ग्राम/ /लीटर पानी की दर से स्प्रे करें

 मल्टी Zn – 3 ग्राम /लीटर पानी की दर से स्प्रे करें

Micro Nutrients Zinc

लोहा (Iron)

इसकी कमी से पौधों में पीलिया रोग हो जाता है। पत्तियों का रंग पीला व सफेद हो जाता है। धान की फसल में कमी के लक्षण दूर से पहचाने जा सकते हैं। पौधों का आकार छोटा रह जाता है 0.1 फीसदी फेरस सल्फेट के घोल के 15 दिन के अंताल पर दो से तीन छिड़काव करें।

नियंत्रण के उपाय • आयरन - 3-5 ग्राम / लीटर के पानी की दर से छिड़काव करें

Micro Nutrients Multiplex Iron / Anshul Iron



मैग्नीशियम (Magnesium) 

 शुरुआती लक्षण पुराने पत्तों पर आते हैं. -पत्तियों का मुड़ना एवं पीलापन पत्तियों के अगले भाग से शुरू होकर बीच की ओर बढ़ता है. -हालांकि, वाहिकाएं (विन्स) हरी बनी रहती हैं -अग्रिम अवस्था में ऊपरी पत्तियों में झुलसाव रूपी धब्बों का बनना | 0.5 फीसदी मैग्नीशियम सल्फेट का घोल बनाकर छिड़काव करें।

 

नियंत्रण के उपाय    - मल्टीमैग -  5 ग्राम/ली पानी की दर से स्प्रे करें

Micro Nutrients Magnesium

बोरान (Boron)

- पत्तियों की आकृति विकृत हो जाती है, कलियां कम बनती है, फूल और बीज कम बनते हैं। फूलों में निषेचन की क्रिया बाधित हो जाती है क्योंकि परागण व परागनली के लिए बोरान आवश्यक तत्व है। अधपके फल व फलियां गिरने लगती हैं। इसकी कमी से पौधे धीमे बढ़ते हैं तथा छोटे रह जाते हैं.

नियंत्रण के उपाय     बोरोक्स 2.5 ग्राम/ली पानी की दर से स्प्रे करें

    अलबोर 1 ग्राम/ली पानी की दर से स्प्रे करें

Micro Nutrients Boron

 

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