सोयाबीन की खेती एक तिलहनी फसल के रूप में की जाती है, क्योकि इसके बीजो से अधिक मात्रा में तेल प्राप्त होता है सोयाबीन को गोल्डन बीन्स भी कहा जाता है। पिछले दो दशकों में सोयाबीन तेल की खपत में अभूतपूर्व वृद्धि देखि गयी है जिसके कारण सोयाबीन की खेती मध्य भारतीय राज्यों में बढ़ी है जहां मौसम उपयुक्त है। खरीफ सीजन में यह किसानों की पसंद की फसल बन गई
सोयाबीन मुख्य रूप से मध्य प्रदेश (एमपी), महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश (एपी) ,तेलंगाना, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक इत्यादि जगहों में की जाती है । मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सोयाबीन उत्पादन का प्रमुख हिस्सा है, जो प्रति वर्ष लगभग 100 मिलियन मीट्रिक टन है।
क्याहैपीलामोजेकरोग? (What is Yellow Mosaic Disease?)
सोयाबीनमोजेक वायरसजनितरोगहैपॉटीवायरसकेकारणहोताहै। जोमुख्यतःसफेदमक्खी (White Fly) केचपेटमेंआनेसेलगताहै. इस रोग से ग्रस्त पौधों की पत्तियों पर सफ़ेद मक्खी के बैठने के बाद अन्य पौधों पर बैठने से रोग पुरे खेत की फसलों में फ़ैल जाता है। लगातार वर्षा होने पर इस रोग के संक्रमण का असर फसलों पर नहीं होता है। किन्तु यदि वर्षा तीन – चार दिन के अंतराल पर होती है, तो सफ़ेद मक्खी के द्वारा फसलों में संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
सोयाबीनकेसाथ-साथयहअन्यदलहनीफसलोंकोभीप्रभावितकरताहै।यदिरोगकीगंभीरताबढ़जातीहैतोसोयाबीनकीउपज 50 से 90 प्रतिशततककमहोजातीहै। यहएकवायरसजनितरोगहै,
पीला मोजेक रोग की पहचान (Symptoms of Yellow Mosaic Disease)
पीला मौजेक रोग लगने पर फसल की पत्तियां पीली पड़ जाती है.
इसके प्रकोप के कारण पत्तियां खुरदुरी हो जाती है और उन पर सलवटें पड़ने लगती हैं.
पीला मोजेक रोग के कारण रोगी पौधे नरम पड़कर सिकुड़ने लग जाते हैं.
इस दौरान फसल की पत्तियां गहरा हरा रंग ले लेती हैं और पत्तियों पर भूरे और सलेटी रंग के धब्बे भी पड़ने लगते हैं.
फसल में अचानक सफेद मक्खी पनपने लगती है और पत्तियों पर बैठकर फसल की क्वालिटी को खराब करती हैं.
ये समस्या फसल की शुरुआती अवस्था में ही दिखाई पड़ने लगते हैं, इसलिये फसल की निगरानी करके इन लक्षणों को पहचानें और समय रहते रोकथाम के उपाय कर लेने चाहिये.
पीला मोजेक रोग से बचाव के उपाय (Yellow Mosaic Disease Managment)
,
द्वारा Agriplex India
ಮಲೆನಾಡಿನ ಕಾಳುಮೆಣಸು – ದಕ್ಷಿಣ ಕನ್ನಡದ ಹಸಿರು ಹೃದಯ...
ನಮ್ಮ ಮಲೆನಾಡಿನ ವೈಭವ ಮಲೆನಾಡಿನ ಮಣ್ಣು – ಕರ್ನಾಟಕದ ಅತ್ಯನ್ನತ ಕಾಳುಮೆಣಸು ನಾಡು. ಇಲ್ಲಿ ಆರಕೆಯ, ತೆಂಗು, ರಬ್ಬರ್ ನಡುವೆಯೆ ಬೆಳೆದ ಕಾಳುಮೆಣಸು ನಮ್ಮ ಅಡಿಕೆ-ತೇಂಗಿನ ಮರಗಳಿಗೆ ರೊಮ್ಯಾಂಟಿಕ್ ಕಲ್ಪನೆಯಂತೆ ಅವಲಂಬಿಸುತ್ತದೆ.ದಕ್ಷಿಣ ಕನ್ನಡ, ಕೊಡಗು,...
,
द्वारा Agriplex India
Kharif 2025 Agri Focus: Why Farmers Should Prioritize Soybean & Paddy This Season
With the arrival of the Kharif season (June to October), Indian farmers are preparing their lands for sowing. Success in this season depends on timely...
,
द्वारा Agriplex India
Green Gold for Your Soil: Why Dhaincha and Sunhemp Seeds are a Farmer’s Best Friend
As modern farming evolves, sustainability has become more than just a buzzword — it’s a necessity. Rising fertilizer costs, soil degradation, and declining yields have...